ध्यान करना सेहत के लिए काफी लाभदायक माना गया है । जो व्यक्ति ध्यान करते हैं, उन्हें चमत्कारी अनुभव भी होते हैं । अक्सर साधक परमानंद, दिव्य दृष्टि, स्वर्गीय उड़ान जैसी अनुभवों को प्राप्त करते हैं । कई बार मोक्ष की सिद्धि में लगे बुद्धिमार्गीय साधकों को भी प्रकाश ध्वनि से जुड़े कई चमत्कारी भ्रम घेर लेते हैं । फलतः कुछ साधक तो ध्यानमार्ग छोड़कर इन अनुभवों की खोज करते भटक जाते हैं । जगत के सृजनात्मक-अनुसंधान में लगा कोई भी व्यक्ति इन चमत्कारों से आकर्षित नहीं होता ।
आत्म साक्षात्कार की प्रयास यात्रा में कुछ देर एकांत में रहना जरूरी होता है । इसके लिए अंदर की गहन यात्रा को समझने की दृष्टि से अधिक आवश्यक है, बाहर से भीतर तथा भीतर से बाहर हिंडोले लेकर चेतना पर ध्यान केंद्रित करना । अंततः साक्षात्कार होने पर मनुष्य अपने दैनिक जीवन यात्रा पर पहले ही जैसा, परंतु स्पष्ट दृष्टि के साथ निकल पड़ता है । आत्म साक्षात्कार की प्रक्रिया में एक ऐसी स्थिति आती है, जब आत्मा के लंबे प्रगाध का अनुभव होता है । यह अनुभव कई सालों या दशकों तक चालू रहता है । इस अनुभव में उतरा साधक सहसा वापस नहीं लौटता । कुछ ही भाग्यशाली हैं, जो इस अवस्था से बच पते हैं । इसे आध्यात्मिक संकट ही कहा जाता है । ध्यान किसी वस्तु या स्थिति को प्राप्त करने के लिए नहीं किया जाता । बल्कि यह हमारे लिए मानसिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि भी काफी महत्वपूर्ण है ।